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उपराष्ट्रपति और संघ प्रमुख के हैंडलों से ब्लू टिक हटाना ट्विटर की धूर्तता को दर्शाता है

In National, Opinion
June 06, 2021
उपराष्ट्रपति और संघ प्रमुख के हैंडलों से ब्लू टिक हटाना ट्विटर की धूर्तता को दर्शाता है
स्त्रोत: Guardian

पिछले कुछ दिनों से भारत में ट्विटर लगातार विवादों में घिरा हुआ है। भारत सरकार द्वारा जारी किए गए नए आईटी नियमों को मानने से ट्विटर लगातार आनाकानी कर रहा है। इसके अलावा अपने एकतरफा फैसलों से भी ट्विटर ने भारत में एक चुनी हुई सरकार को चुनौती देने का प्रयास किया है।

आज स्थिति यह हो गई है ट्विटर भारत में वामपंथी विचारधारा को पोषण देने का एक जरिया बन गया है जबकि यह खुद को अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा पैरोकार होने का दावा करता है। नए आईटी नियमों को लेकर ट्विटर ने लगातार भारत सरकार को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ज्ञान देने के प्रयास किए हैं, हालांकि ढुलमुल रवैए के बावजूद ट्विटर पर भारत सरकार की सख्ती बनी हुई है।

अब देखना यह है कि केंद्र की मोदी सरकार ट्विटर जैसी एक धूर्त कंपनी के द्वारा दी जा रही चुनौती पर सिर्फ चेतावनी ही देती रहेगी या फिर वास्तव में किसी तरह की कार्रवाई अमल में लाएगी।

उपराष्ट्रपति के हैंडल से ब्लू टिक हटाना ट्विटर की धूर्तता की पराकाष्ठा

शनिवार को सुबह सुबह अचानक खबर आई कि भारत के उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू समेत संघ के पदाधिकारियों के ट्विटर हैंडल्स से ब्लू टिक हटा लिया गया।

ट्विटर ने इस कार्रवाई पर सफाई दी कि ये हैंडल्स पिछले काफी समय से एक्टिव नहीं थे। इसलिए वेरिफिकेशन पॉलिसी के मुताबिक बिना किसी सूचना के अनवैरिफाई करते हुए इन हैंडल्स से ब्लू टिक हटा दिया गया।

लेकिन जैसे ही ये खबर मीडिया में आई, लोगों ने ट्विटर की पोल खोलना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर लोगों ने उन हैंडल्स को शेयर करना शुरू कर दिया जो पिछले काफी समय से एक्टिव नही हैं लेकिन फिर भी उन पर ब्लू टिक दिखाई दे रहा हैं।

ऐसे हैंडल्स में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, कांग्रेस नेता अहमद पटेल, अभिनेता इरफान खान के ट्विटर हैंडल प्रमुख हैं। गौरतलब है कि प्रणब मुखर्जी, अहमद पटेल और इरफान खान की पिछले वर्ष ही मृत्यु हो चुकी है और इनके ट्विटर हैंडल तब से ही एक्टिव नहीं हैं। लेकिन फिर भी इन सभी हैंडल्स पर ब्लू टिक दिखाई दे रहा है।

इसके अलावा वामपंथी पत्रकार (तथाकथित) रवीश कुमार के ट्विटर हैंडल पर भी ब्लू टिक बना हुआ है जबकि वह 52 महीनों से ट्विटर पर एक्टिव नहीं हैं।

दक्षिणपंथी हैंडल्स के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई नई बात नहीं

ट्विटर द्वारा की गई इस कार्रवाई की जद में सिर्फ वही लोग आए हैं जो दक्षिणपंथी विचारधारा का समर्थन करते हैं। ट्विटर लगातार अपने प्लेटफार्म पर दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करता रहता है।

ट्विटर द्वारा दक्षिणपंथी विचारधारा का समर्थन करने वाले लोगों और हस्तियों के हैंडल्स को सस्पेंड किया जाता रहा है। अभिनेत्री कंगना रनौत का हैंडल इसी तरह की एकतरफा कार्रवाई में सस्पेंड कर दिया गया था। ट्विटर ने इस कार्रवाई के पीछे हेट स्पीच का हवाला दिया था। वहीं आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्ला खान के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि उसने अपने ट्वीट में सीधे सीधे गर्दन काटने की धमकी दी थी।

इस तरह की एकतरफा कार्रवाईयों के कारण आज ट्विटर एक तरह से वामपंथी विचारधारा का मुखपत्र बन गया है। वामपंथी पत्रकार ट्विटर पर हर दिन हर तरह की बकवास करते रहते हैं, लेकिन उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती है।

सरकार के ढुलमुल रवैए से मिल रही ताकत

ट्विटर लगातार भारत में नियमों का मखौल उड़ाता रहा है। ऐसे समय में जब लगभग सभी आईटी कंपनियां भारत सरकार द्वारा लागू किए गए नए आईटी नियमों को मानने से सहमत हो चुकी हैं, ट्विटर अपनी मनमानी पर अड़ा हुआ है।

इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमिडियरी गाइडलाइंस एण्ड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 के तहत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत सरकार के नए आईटी कानूनों का पालन करना है। लेकिन ट्विटर ने अभी तक इन नियमों का पालन करने में रुचि नहीं दिखाई है।

ऐसे में कश्मीर से धारा 370 हटाने जैसे कड़े फैसले लेने वाली मोदी सरकार से ट्विटर के खिलाफ कड़े कदम उठाने की उम्मीद लोगों द्वारा की जा रही थी। लेकिन सरकार ने अभी तक ट्विटर को सिर्फ चेतावनी वाले नोटिस ही जारी किए हैं। किसी भी तरह की कोई सख्त कार्रवाई सरकार की तरफ से अभी तक दिखाई नही दी है।

केंद्र की मोदी सरकार के इस ढुलमुल रवैए के कारण ही ट्विटर जैसी प्राइवेट कंपनी को इस तरह की मक्कारी और धूर्तता का प्रदर्शन करने का मौका मिल रहा है।

वहीं वामपंथी पत्रकारों, ढपली गैंग, लिबरल सेकुलर जमात के अंधे समर्थन के कारण भी ट्विटर के हौसले काफी बढ़े हुए हैं।

यही कारण है कि ट्विटर आज खुद को भारत सरकार के समकक्ष मान बैठा है और वामपंथी पत्रकारों व लिबरल सेकुलर जमात के समर्थन के कारण ही भारत की चुनी हुई सरकार को चुनौती देने की हिमाकत कर रहा है।

ट्विटर के पर काटने के लिए नाइजीरिया जैसी कार्रवाई जरूरी

नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहम्मद बुहारी ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने देश के एक चरमपंथी समूह को उसी की भाषा में जवाब देने की बात कही थी। लेकिन ट्विटर द्वारा इस ट्वीट को आपत्तिजनक मानते हुए बुहारी का ट्विटर हैंडल 12 घंटे के लिए सस्पेंड कर दिया गया।

लेकिन नाइजीरिया की सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ट्विटर को उसकी औकात याद दिला दी कि वह सिर्फ एक प्राइवेट कंपनी है और देश में ट्विटर को अनिश्चितकाल के लिए बैन कर दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक नाइजीरिया सरकार की इस सख्त कार्रवाई के बाद ट्विटर के होश फाख्ता हो गए हैं और उसके अधिकारी अब बीच बचाव की मुद्रा में आ गए हैं।

जबकि भारत में सरकार के ढुलमुल रवैए के कारण ट्विटर देश की चुनी हुई सरकार को आंखे दिखा रहा हैं। एक तरह से देखा जाए तो यह सिर्फ सरकार को नहीं बल्कि भारत के लोकतंत्र को चुनौती देने जैसा हैं।

ऐसे में नाइजीरिया की सरकार द्वारा ट्विटर के खिलाफ की गई कार्रवाई भारत सरकार के लिए एक नजीर साबित हो सकती है। सरकार को तुरंत ट्विटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

ट्विटर के खिलाफ इस तरह की सख्त कार्रवाई न केवल भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हित में है बल्कि देश के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए भी जरूरी है।